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रामकहानी / संध्या पेडणेकर

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इसकी, उसकी, तेरी, मेरी
सबकी एक-सी राम कहानी
आओ कुछ नया करें
ख़ुद अपने निर्णय लें
और ख़ुद अपनी राहें ढूँढें

हीरों को कराएँ छुटपन से
राह की पहचान
नैनों को दे सामनेवाले को
चीर कर आर-पार देखने की ताक़त
दो गिलास दूध मुन्ने को
तो दो गिलास दूध मुन्नी को भी
नया बस्ता राजू को
तो नया बस्ता रानी को भी
नयी रहे टटोलने की आज़ादी
दोनों को दें
दोनों की आँखों के सपनों को
रंग दें

लेकिन यह सब करने से पहले
समय पर शाम का खाना बना दें
संघर्ष की शुरुआत वर्ना यहीं से होगी
नई यह कहानी भी फिर
शाम के खाने पर कुर्बान हो जाएगी!