भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रूपान्तरण / मणि मोहन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:34, 6 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणि मोहन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरे पत्तों के बीच से
टूटकर बहुत ख़ामोशी के साथ
धरती पर गिरा है
एक पीला पत्ता
अभी-अभी एक दरख़्त से

रहेगा कुछ दिन और
यह रंग धरती की गोद में
सुकून के साथ
और फिर मिल जाएगा
धरती के ही रंग में

कितनी ख़ामोशी के साथ
हो रहा है प्रकृति में
रंगों का यह रूपान्तरण ।