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लक्ष्य-निर्धारण / राहुल राजेश

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एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गोपनीय बैठक में
अंतर्राष्ट्रीय पूँजी-बाज़ार के सबसे बड़े रहनुमा ने कहा-

मित्रों, यह तो तय है
कि हमने ऐसी एक भी संभावना नहीं छोड़ी
जिन पर हमारे विज्ञापन-तन्त्र ने न किया हो शोध

उनके दिमाग में बहुत बड़ी सुराख कर चुके हैं हम
साबुन की झाग में लिपटी देह से लेकर
नायाब सूचनाओं के ब्रह्मांड पार हो जाने तक

मित्रों, हमारा भय यह नहीं है
कि यह सुराख हमारी थोड़ी-सी शिथिलता से भर जाएगी
यह तो ब्लैक-होल है, ब्लैक-होल
बढ़ता ही जाएगा.

पर अफसोस, अब भी, हाँ अब भी कम पड़ रहा है
हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु कार्यक्रम पर
होना चाहिए जो ज़रूरी खर्च

अतः बहुत सोच-समझकर हमने
निर्धारित किया है अपना लक्ष्य

नींद, सपने, स्वाद और सम्बन्ध,
मा, बहू और बच्च,
नीम, हरड़ और कंद पर तो हम कर चुके

आइए, अब करें मानव गुणसूत्रों पर घात.