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लगता है / रणजीत

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लगता है नाकाम रहे हम
लड़ लड़ कर बस हार गये हम
सोचा था दुनिया बदलेगी
बहुजन की किस्मत चमकेगी
पर यह टस से मस न हुई
थोड़ी भी समरस न हुई।
मन करता देने को गाली
ज़रा न बदली दुनिया साली।
ट्रम्प-पुतिन का तारा चमका
और बढ़ा अंधियारा ग़म का।
देश का हाल तो और बुरा है
चाकू था, जो हुआ छुरा है।
धनपतियों की गिनती बढ़ गयी
विष की बेल वृक्ष पर चढ़ गयी
आम आदमी परेशान है
मंहगाई से हलाकान है
कर्ज़ में गर्क अन्न-फल-दाता
फांसी पर खुद लटका जाता।
तवारीख में नाम, लिखाने
कालेधन को श्वेत बनाने
चलता चाल तुगलकी नेता
वादे करता, कुछ नहीं देता।
भारत माता हुई पुरानी
गौमाता ही अब महारानी
हिन्दू हित की बात नई है
गौरक्षा की घात नयी है
भीड़ की हिंसा नयी आ गयी
जन-मन में वह जगह पा गयी।
क्या होगा इस देश का हाल?
गर फिर जीते नटवर लाल।