भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़ रहा हूँ लेकिन / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
गंगाराम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 20 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह= }} <Poem> लड़ रहा हूँ लेकिन पू...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लड़ रहा हूँ लेकिन
पूरी तरह लड़ने की स्थिति में नहीं हूँ

जी रहा हूँ लेकिन
पूरी तरह जीने की स्थिति में नहीं हूँ

मर रहा हूँ लेकिन
पूरी तरह मरने की स्थिति में नहीं हूँ

माँ ज़िन्दा है और अब चल नहीं पा रही है
और परिवार...

माफ़ करें मेरे पास कोई और रास्ता नहीं
थोड़ा और इंतज़ार करें