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वैधता प्रमाणपत्र / प्रेमरंजन अनिमेष

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मैं एक मामूली आदमी
जो कहीं कुछ कोई नहीं
यह प्रमाणित करता हूं

कि प्यार अब भी चलन में है
रिश्तों में अब भी है आँच
सच एकदम से अकेला नहीं

हवा पूरी दूषित नहीं हुई
जल तल तक नहीं हुआ गँदला
मिट्टी अबतक उर्वर
आसमान ऊपर
और उसमें कितने ही पर हैं

इस डूबती वेला में
कितने सारे स्वर हैं…