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वो जाग रहे हैं / मनोज अहसास

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वो जाग रहे हैं
दिन है फिर भी जाग रहे हैं
अक्सर वो रात में जागते है
अँधेरी और खामोश रात में
अब वो दिन में भी जाग रहे हैं
रात रौशन जो हो रही है
उन्हें एतराज़ है इस बात पर
रात रौशन क्यों है
वो बहुत गुस्से में है
वो बहुत गुस्से में है
वो साबित करना चाहते है
वो भी प्रहरी है
सूखी हुई खेती के
और उसको काटने नहीं देगे
और अपने मुलायम आसान से उतर आये है
वो अनशन भी कर सकते है
उन्हें डायबटीज़ है मानसिक
मीठा नहीं खा सकते
वो रूढ़िवादी भी है
पर वो स्वतंत्र है
आजकल विरोध पर है कारण बताओ नोटिस दिए बिना
अब वो अपनी स्तुति करवाने से मना कर रहे है
उनका विरोध का तरीका उनके पेशे के अनुकूल नहीं है
क्योंकि कलम में बहुत ताकत होती है
अगर सियासत से बची रहे तो