भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिक्षा गीत / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भारत देश हमारा है
सब देशों सक न्यारा है
लहरों से नित उछल-उछल कर
पट धोता रहता है सागर
जनगणमन अधिनायक गा
राष्ट्रगान दुहरा-दुहरा कर
बहती पावन धारा है
सब देशों से न्यारा है।