भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समा गए मेरी नज़रों में छा गए दिल पर / असग़र गोण्डवी

Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:11, 24 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असग़र गोण्डवी |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem> समा गए मे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 

समा गए मेरी नज़रों में छा गए दिल पर।
ख़याल करता हूँ, उनको कि देखता हूँ मैं॥

न कोई नाम है मेरा न कोई सूरत है।
कुछ इस तरह हमातनदीद हो गया हूं मैं॥

न कामयाब हुआ और न रह गया महरूम।
बडा़ ग़ज़ब है कि मंज़िल पै खो गया हूँ मैं॥