भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सम्भव है वह भूल जाए अपना प्रेम / उदयन वाजपेयी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सम्भव है वह भूल जाए अपना प्रेम
सम्भव है वह भूल जाए वह स्पर्शगंगा
जिसमें वह तिरी थी
लेकिन एक शाम सड़क पर चलते-चलते
हल्के लाल आकाश को देखकर क्या वह
एक क्षण को भी यह नहीं सोचेगी :
यह कौन है,
यह कौन है
मैंने इसे ज़रूर कहीं देखा है !

ज़रूर कहीं देखा है ! !