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सितारे टूटकर गिरना हमें अच्छा नहीं लगता / कविता किरण
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Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:40, 3 अक्टूबर 2016 का अवतरण (कविता किरण की ग़ज़ल)
सितारे टूटकर गिरना हमें अच्छा नहीं लगता
गुलों का शाख से झरना हमें अच्छा नहीं लगता।
सफ़र इस जिंदगी का यूँ तो है अँधा सफ़र लेकिन
उमीदें साथ हैं वरना हमें अच्छा नहीं लगता।
थे ताज़ा जब तलक हमको किसी की याद आती थी
पुराने ज़ख्म का भरना हमें अच्छा नहीं लगता।
हमारा नाम भी शामिल हो अब बेखौफ बन्दों में
जहाँ से इस कदर डरना हमें अच्छा नहीं लगता।
मुहब्बत हम करें तेरी इबादत सोचना भी मत
तुम्हारा ज़िक्र भी करना हमें अच्छा नहीं लगता।
भला हो या बुरा अब चाहे जो होना है हो जाये
किरण" ये रोज़ का मरना हमें अच्छा नहीं लगता।