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स्मिता के मुक्तक / स्मिता तिवारी बलिया

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प्रीत की रीति तुमसे निभाएंगे हम
मोरपंखी को माथे सजाएंगे हम
बाँसुरी जो तुम्हारे अधर छू रही
अपने होंठो से उसको लगाएंगे हम।

प्रणय की बात है प्रियतम बताना चाहती हूँ मैं
तुम्हीं मेरे हृदय में हो दिखाना चाहती हूँ मैं
चलोगे साथ मेरे तुम यही सुनकर बहुत खुश हूँ
गले लगकर खुशी अपनी जताना चाहती हूँ मैं।

तुम्हारे प्यार की जलधार मेरे दिल में बहती है
नहीं कहते जो तुम मुझसे वो हर एक बात कहती है
कभी तो पास आओगे मुझे आगोश में भरने
कि इस उम्मीद में जागी मेरी हर रात रहती है।

साथ पाकर तेरा हम निखर जायेंगे
और मौसम ख़ुशी में सँवर जायेंगे
तेरे होने से हम हो रहे गीत से
तू नहीं होगा गर तो बिखर जायेंगे।

रोज़ तेरी इबादत ही करते हैं हम
एक तेरे लिए जीते- मरते हैं हम
तू रहे पास दिल के है यही आरज़ू
हिज्र के नाम से ख़ूब डरते हैं हम।