भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:45, 4 सितम्बर 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= हँस-हँस गाने गाएँ हम ! / महेन्द...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

.
हम छोटे - छोटे भोले - भाले सारे बाल
पढ़-लिख पर जल्द बनेंगे वीर जवाहरलाल !
.
  अच्छे-अच्छे काम करेंगे
नहीं किसी से ज़रा डरेंगे
दुनिया में कुछ नाम करेंगे
भारत-माता को कर देंगे हम मालामाल !
पढ़-लिख कर जल्द बनेंगे वीर जवाहरलाल!
हम छोटे - छोटे भोले - भाले सारे बाल !
.
जन-जन का दुख दूर करेंगे
सेवा हम भरपूर करेंगे
बाधा चकनाचूर करेंगे
झूठे धोखेबाजों की नहीं गलेगी दाल !
पढ़-लिख कर जल्द बनेंगे वीर जवाहरलाल !
हम छोटे - छोटे भोले - भाले सारे बाल !