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हैसियत / लीलाधर मंडलोई
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उसने तीन चार प्यारे-प्यारे नामों से
मौत को पुकारा
मगर मौत नहीं आई
उसके बाद मौत ने ज़िन्दगी को
तीन चार प्यारे-प्यारे नामों से पुकारा
बस, इतने में वहाँ हज़ारो लाशें बिछ चुकीं थीं।