भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होली मतवाला / आर्त

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:06, 15 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुगना टेरी-टेरी राधा रमण को रिझा ले ।।

सबकी सुनें वो सुनेंगे तुम्हारी
मेटें करम गति कृष्ण मुरारी
जैसे पुकारी तरी गडिका सी नारी
की वैसै तू बिगड़ी बना ले

करिहैं नाहि देरी
करिहैं नाहि देरी
जन्मों की बिगड़ी बना ले

सुगना टेरी-टेरी राधा रमण को रिझा ले ।।

माया भवर उलझी तेरी नैया
बिन गोपाल न कोई खिवैया
सब दुःख हरिहैं यशोदा के छैया
कि उनको चरण पड़ी मना ले

माया जेकै चेरि
माया जेकै चेरि
उनको शरण पड़ी मना ले

सुगना टेरी-टेरी राधा रमण को रिझा ले ।।