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अँखियों की चिट्ठी में / हरकीरत हीर
Kavita Kosh से
1
धक- सा हुआ
हवा के बहाने क्या
तुमने छुआ !!
2
उड़ा गुलाल
हुए क्यूँ यूँ ये लाल
ज़र्द से गाल ?
3
पत्ता अनाम
क्या तूने ही रंग के
भेजा पैग़ाम ?
4
क्या लिख दिया
हवाओं में प्रिय जो
धड़का जिया ?
5
घोले अनंग
पढ़ लेना साजन
नैनों के रंग ।
6
पत्ते- पत्ते पे
लिख दिया रंगों से
तेरा ही नाम ।
7
भर दो रंग
अँखियों की चिट्ठी में
प्रीत के संग ।
8
झूठ ही कहो
होली के बहाने से
कुछ तो कहो !
9
हुए बेचैन
प्रतीक्षारत नैन
कर दो सैन ।
10
उड़े है रंग
होली का हुड़दंग
बाजे मृदंग ।
11
भाया न रंग
तुम बिन साजन
सूना है मन।
12
भेजा है थाल
अबीर व गुलाल
लगाना भाल ।