भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अँधियारे में खोती हिंदी / प्रदीप शुक्ल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अँधियारे में खोती हिंदी
अंग्रेजी चकमक
अंग्रेजी में बात कर रहा
हिंदी का नायक

परदे पर
हिंदी में नायक
झूम झूम गाये
अंग्रेजी में गिटपिट करता
जब बाहर आये
जिस थाली में खाये उसमे
छेद करे भरसक

हिंदी
समाचार पत्रों का
सचमुच हाल बुरा
अंग्रेजी के शीर्षक से
सारा मुखप्रष्ठ भरा
गाँवों कस्बों से भी हिंदी
की मिट रही चमक

अपनी भाषा
की उन्नति में
हम पीछे पिछड़े
नए नए पौधों की सारी
खोखल हुई जड़ें
अंग्रेजी के पीछे पूरी
पीढ़ी रही बहक
अँधियारे में खोती हिंदी
अंग्रेजी चकमक।