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अंगिका मुकरियाँ-2 / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
नैका चाउर नैका आटा,
नै आँठी नै एक्को काटा।
बगुला पेड़ा मिट्ठोॅ-मिट्ठोॅ,
की सखि लड्डू? नै सखि पिट्ठोॅ।
चिकनोॅ पियर पातरोॅ छिलका,
बिना दाँत चुभलावै चिल्का।
नै खिच्चा नै कोय झमेला,
की सखि अमुआ? नै सखि केला।
चैत मास में सबकेॅ भावै,
तित्तोॅ लेकिन चैती गावै।
गुद्दा कम तासीर-असीमा,
की सखि चिरौता? नै सखि नीमा।
एक देह मँ तीन-तीन डैना,
दौड़ै छै बिन चाबुक पैना।
कखनी गिरतै लागै संका,
की सखि जहाज? नै सखि पंखा।
कन्ना-गुजगुज औका-बौका,
दोल-दलिच्चा कद्दू-लौका।
मारने सीटी ससरै रेल,
की सखि बुतरु? नै सखि खेल।