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अंतरिक्ष में भी जाना है / मधुसूदन साहा

Kavita Kosh से
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भारत की अब
हर बेटी को
अंतरिक्ष में भी जाना है।

माँ क्यों इतना घबड़ाती हो?
बात-बात पर डर जाती हो?
बहन 'कल्पना'
के सपने को
पूरा करके दिखलाना है।

जो मरने से डर जाता है
क्या जग में कुछ कर पाता है?
जो ले जाये
मुक्त व्योम तक
उसी मार्ग को अपनाना है।
नहीं बेटियाँ बेटो से कम
आगे रहती सबसे हरदम
क्या-क्या मिलता
नक्षत्रों में
पता लगाकर ही आना है।
'विलयम' ने जो कर दिखलाया
जननी का ज्यों मान बढ़ाया
उसी राह पर
आगे चलकर
अपना परचम फहराना है।