अंबर बीच पयोधर देखिकै कौन को धीरज सोँ न गयो है ।
भँजनजू नदिया यह रूप की नाव नहीँ रविहू अथयो है ।
पँथिक राति बसौ यहि देस भलो तुमको उपदेस दयो है ।
या मग बीच लगै वह नीच जु पावक मे जरि प्रेत भयो है ।
भँजन का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।