भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अकेलेपन की कविता / ओरहान वेली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो
अकेले नहीं रहते कभी
उन्हें क्या पता
कि चुप्पी हो सकती है
किसी के लिए
कितनी भयावह

कैसे कोई
ख़ुद से ही करता है
वार्तालाप
कैसे कोई
दौड़ लगाता है
आईनों की ओर

किसी अस्तित्व के लिए
तड़प के मायने,
नहीं जानते वे,
नहीं, बिल्कुल नहीं।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह