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अकेलेपन की कविता / ओरहान वेली
Kavita Kosh से
जो
अकेले नहीं रहते कभी
उन्हें क्या पता
कि चुप्पी हो सकती है
किसी के लिए
कितनी भयावह
कैसे कोई
ख़ुद से ही करता है
वार्तालाप
कैसे कोई
दौड़ लगाता है
आईनों की ओर
किसी अस्तित्व के लिए
तड़प के मायने,
नहीं जानते वे,
नहीं, बिल्कुल नहीं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह