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अगणित उडुगण-उज्ज्वल-अक्षर में व्योम भेजता संदेशा / प्रेम नारायण 'पंकिल'

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अगणित उडुगण-उज्ज्वल-अक्षर में व्योम भेजता संदेशा।
मंथर मलयानिल कुछ कह जाता मिलन-निशा के सपने सा।
करता आमंत्रित अस्तंगत रवि राकापति सुषमाशाली।
मुख ले मृणाल कहता मराल कुछ मानस-सलिल-सुधा-पाली।
गम्भीर जलदगत चपल चंचला ने संदेश पठाया है।
चंचल समीर तन-नवल-चीर लहरा कुछ कहने आया है।
उर-पीर कहे किससे विकला बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥87॥