भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगर चाहते परम शान्ति तो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
(राग परज-ताल कहरवा)
अगर चाहते परम शान्ति तो, अहंकार कर दो त्याग।
ममता और कामना छोड़ो, तनिक न रखो भोगमें राग॥
अथवा प्रभु जो सर्वशक्तिधर, सर्वेश्वर, सर्वज्ञ, सुजान।
उनकी सहज सुहृदता पर रखो अखण्ड विश्वास महान॥