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अचानक / अदनान कफ़ील दरवेश
Kavita Kosh से
वो अचानक नहीं आता
बता कर ही आता है
क्योंकि उसे मालूम है
कि मुझे
किसी चीज़ का अचानक होना
कोई ख़ास पसन्द नहीं
मुझे
वो सुख
ज़्यादा प्रिय है
जो अपनी
ख़बर पहले भिजवा दे
और दुःख
जो धीरे-धीरे
अन्धकार में उतरते हों
और जब
मैं उससे कहता हूँ —
"..सुनो !
मुझे मृत्यु भी
धीरे-धीरे ही चाहिए.."
तो वो
कई-कई रोज़
मेरे घर नहीं आता
अचानक भी नहीं !
(रचनाकाल: 2016)