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अच्छी खबर / दिनेश कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
कभी-कभी अच्छी ख़बरें भी आ जाती हैं
जैसे अब भी
कभी-कभी तुम आ जाती हो
अपनी छत पर
गली गैर की दूर मुहल्ला
नहीं पतंगों का ये मौसम
अपने संग पढ़ने वाले अब
हिन्दू हैं या मुसलमान हैं
लेकिन इतना तो है अब भी
कभी-कभी तुम आ जाती हो
अपनी छत पर