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अच्छे-अच्छे गीत बिचारे / शिवम खेरवार
Kavita Kosh से
अच्छे-अच्छे गीत बिचारे,
बेच रहे हैं बेर।
बचपन से 'कम्पोस्ट' डालकर,
बड़े किए.
मालिश कर ख़ुद के पैरों पर,
खड़े किए.
'बोन चाइना' ने मिट्टी की,
करी क्वालिटी ढेर।
भेड़-बकरियों की नगरी में,
ज़ातों में,
ही-ही, हा-हा चलता रहता,
बातों में,
कउए कोयल पर करते हैं,
हँसी-हँसी में छेर।
क्रीम, पाउडर, तेल लगा ठग,
मिलता है।
गंजों के सिर पर विग कितना,
खिलता है।
जड़ें जमाता घूम रहा है,
मिट्टी में अंधेर।