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अजनबी / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
बारिश हो रही है
वो अजनबी जो मुझसे मिलने आता है
उसके नाजुक क़दम
ज़मीन पर पड़ रहे हैं
- वर्तमान की तरह एक फ़ासले से -
बारिश हो रही है
कोई अदृश्य
मेरी खिड़की पर दस्तक दे रहा है
ओ मेरे दिल यहीं रुके रहो
आसमान में लटके
भरे हुए बादल की तरह
जिसने अभी-अभी बरसना सीखा है ।