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अजबे नगरिया के रीत / उमेश बहादुरपुरी

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ई त अजबे हे नगरिया के रीत
बाबू कोय न करऽ हे इहाँ पिरीत
हर कोय देखऽ हे अँखिया गुर्रा के
तनिको न ताके प्यार से हमरा के
हम केकरा के कहूँ मनमीत
बाबू ....
केकरा से करी पिरितिया के आसा
कोय नञ् बोलऽ हे प्यार के भासा
हमरा तो लागऽ हे हर कोय तीत
 बाबू ....
मनमा में बसल सामली सुरतिया
अँखिया के आगु मोहनी मुरतिया
उहे तो लेलकइ हम्मर मन जीत
बाबू ....
बाँटले फिरऽ हे जे प्यार के संदेसा
कोय के नञ् ओकरा पर हे अंदेसा
इहाँ तो लेलकइ उहे जगजीत
बाबू ...