भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अतना गुमान काहे / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अतना गुमान काहे
जिनगी झँवान काहे

अँखिया झरे अनेरे
ई अर्ध्यदान काहे

कइले मिरी हमेशा
अफरा में प्रान काहे

जब आचरण सही ना
पवलऽ तू ज्ञान काहे

नजरो से देखला पर
अउरी प्रमान काहे

लिखिहें ‘पराग’ मन से
पइहें ना मान काहे