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अधूरी अरदास / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
परमातमा !
आ म्हारी अधूरी अरदास
सबद हुया पांगळा
किंयां नावडूं थनै ?
कैड़ी नाजोगी है
आ दुनियां
जकी पैली तो सोधै
हरेक हरफ में अरथ
अर पाछै कोनी देवै
उण अरथ नै मानता।
है परमेसर !
रावण नै मारणै सूं बेसी
अबखी हुयगी है
उणरी ओळखाण
फेर किंकर जीवैला
जीया-जूण ?
हे बापजी !
सबदां में ढ़ाळ सकूं
मानखै री पीड़ नै
ऐड़ी खिमता दे ।