भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनंत भाषा / पूनम अरोड़ा 'श्री श्री'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अगर प्रेम एक दरख़्त है
अपनी काया में
तो मैं एक आग्रह पात्र हूँ
तुम्हारी नींद में निर्वाण के खलल का.

मुझे धीमे आवेग में पसंद है
मृत्यु की अनंत भाषा !