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अनुपस्थिति / मनोज कुमार झा
Kavita Kosh से
तुम नहीं तो यहाँ अब मेरे हाथ नहीं हैं
एक जोड़े दस्ताने हैं
पैर भी नहीं
एक जोड़ी जूते की
देह भी नहीं
बस माँस का एक बिजूका जिसमें रक्त और हवाएँ घूम रही हैं।