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अनुरागी हूँ / संगीता गुप्ता

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अनुरागी हूँ
फिर भी बैरागी
मोहग्रस्त
मोहमुक्त
कहीं नहीं
सर्वत्र

दे दिया गया हूँ
मृत्यु को
मथते रहते हैं
असंख्य प्रश्न
जीवित चिन्ता हूँ
नचिकेता की

कहाँ हो यमराज
सुनता रहा
धर्मराज भी हो तुम्हीं
संतुष्ट करोगे मुझे