भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अन्तस की गुलामी / सुरजन परोही
Kavita Kosh से
आजादी की लड़ाइयाँ
हुई कितनी-ऐतिहासिक
बँधे हुए जकड़े हैं
एक-दूसरे के गुलाम हैं
नहीं तो-
अपने आप के गुलाम
अपने पाँव तले दबे हैं
आजादी की लड़ाई लड़ी कितनी
पर अपने आप से
आजादी की लड़ाई
नहीं लड़ी कभी।