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अन्तिम ईंट / कमल जीत चौधरी
Kavita Kosh से
अपनी ऊँची बस्ती में
अपने से कम रन्दों* वाले
तुम्हारे घर को देख
मैं प्रतिदिन अपने घर की
एक ईंट निकाल देता हूँ
मैं तुम्हारा हाथ पकड़ना चाहता हूँ
यह सपना पूरा नहीं हो रहा
दरअसल ईश्वर रोज़
तुम्हारे घर की एक ईंट
चुरा लेता है
हमारे फ़ासलों का जश्न मना लेता है
…
कामना है
ईश्वर के पाप का घड़ा जल्दी भरे
मैं उससे युद्ध करना चाहता हूँ
ईश्वर, जल्दी करो
प्रेम और युद्ध
मुझसे अन्तिम ईंट दूर हैं ।
—
शब्दार्थ :
रन्दा* - रद्दा (Radda मतलब दीवार में ईंटों की एक बार}