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अन्तिम मनुष्य / रुस्तम
Kavita Kosh से
तुम अकेले ही मरोगे।
तुम्हारे चहुँ ओर मरु होगा।
सूर्य बरसेगा।
तुम मरीचिकाएँ देखोगे,
उनके पीछे दौड़ोगे,
भटकोगे।
पानी की एक बूँद के लिए भी तरसोगे।
ओह वह भयावह होगा !
एक मामूली जीव की तरह
मृत्यु से पहले
असहाय तुम तड़पोगे।
इतिहास में
सारे मनुष्यों के
सभी-सभी
कुकृत्यों का
जुर्माना भरोगे।
तुम अकेले ही मरोगे।