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अन्धों के लिए गीत / आन्ना अख़्मातवा
Kavita Kosh से
ख़ुद अपना हाथ कभी नहीं पकड़ो ...
और हाथ पकड़कर ख़ुद को नहीं चलाओ ...
ख़ुद अपने ऊपर उँगली नहीं उठाओ ...
अपने बारे में कभी कोई कथा नहीं सुनाओ ...
नहीं तो
चलते - चलते कभी ठोकर खाओगे
इस दुनिया में तुम और कितने दुख उठाओगे !
1942, ताशकन्द
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
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लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी में पढ़िए
Анна Ахматова
Песенка слепого
Не бери сама себя за руку...
Не веди сама себя за реку...
На себя пальцем не показывай...
Про себя сказку не рассказывай...
Идёшь, идёшь — и споткнешься.
1942. Ташкент