अन्न से भरे खेत / रेखा चमोली
लहलहा रहे हैं खेत अन्न से भरे पूरे
गेहॅू के साथ मटर की फलियां
सरसों का धानी विस्तार
धनिया, राई, पालक, लहसुन, प्याज की अलग अलग क्यारियों में
नटखट बच्चे सा खडा कोई घुसपैठिया पौधा
दूर से ताक रहा अपने साथियों को
काश इतनी हल्की हो पाउुॅ मैं
दौड कर निकल जाउॅु इस ओर से उस छोर
बिना एक पत्ती या पंखुडी को नुकसान पहुॅचाए
बन जाउॅु ढेर सारा पानी
हर पौधे की जड तक पहुॅचुं
उसके रेशे-रेशे में घुल जाउुॅ
पत्तियों के रोशनदानों से बाहर झॉकू
या फिर बन जाअॅु हवा बासंती
हर पौधे का हाल पूछॅू
घूमूॅ दिन भर इधर उधर इठलाउुॅ
चमकीले उजाले से भरा घाम हो जाउुॅ
दाने-दाने को तपाउॅु
आहा ! ये अन्न से भरे खेत
इनमें से कोई भी एक मेरा नहीं
इनके लहलहाने में भी मेरा कोई श्रम नहीं
पर इन्हें देखकर यहीं रह जाने को कर रहा मन
लग रही अपनी रसोई भरी-पूरी।