अपन-अपन एकांतमे बच्चा / विभूति आनन्द
।।पहिल पत्र।।
प्रिय मित्र !
राजकीय विद्यालय छठम कक्षामे
हमरा नाम लिखा गेल
ओही दिन एकटा ‘टिफिन’ सेहो किनल गेल
माइ ओहिमे सुखाएल रोटिए सही, मुदा
नोन आ पियाजुक संग भरि क’ देलनि
आइ विद्यालयमे तकरा
सोआदि-सोआदि क’ खएलहुँ
‘टिफिन’ खूबे नीक अछि
ओहि पर भारतक नक्शा बनल छै !
।।दोसर पत्र।।
यार !
हमर अम्मी के पास
किताब खरीदै लेल पाइ नइं रहै
अइ कारण रोज-रोज
टीचरसें मारि खाइत रही
काल्हि हम प्रेयरमे नइं गेली
कुइछ कापी, कुइछ किताब
अपन दोस्तक बैगसँ टपा लेली
अब टीचरसें मार नइं खाएब
अम्मी के भी परेशानी नइं होतैं !
।। तोसर पत्र।।
प्रिय मीता !
एम्हर कतोक माससँ पढ़ाइ नइं होइए
वर्ग-शिक्षक डेरा-धमका क’
शिक्षक-दिवसक नाम पर
पाइ अँइठ लेलनि अछि
आइ शिक्षक दिवस सेहो मनाओल गेल
सभ शिक्षक आपसमे
थारी-गिलास-मधुर...आदि बाँटि लेलनि
हमरा सभकें।
एकटा टॉफीयो पर आफह आबि गेल !
।।चारिम पत्र।।
दोस्त !
काल्हि हम बाट ध’ क’ स्कूल जाइत रही
देखलहुँ, रिक्शा पर सँ एकटा बच्चाक
पानिक बोतल नीचाँ खसलै। ओ तकरा
उठएबा लेल नीचाँ झुकल....
तखने एकटा ट्रक अएलै, आ
ओकरा पीचैत आगू बढ़ि गलै
हमर आँखिमे एखनो ओ बच्चा अछि
आ, तहियासँ सदिखन
अंदर-बाहर सभठाम हमरा
ट्रके-टक देखा पड़ैत रहैए !
।।पाँचम पत्र।।
प्रिय भाइ !
पछिला राति हमरा ओहि ठाम
जुलुम भ’ गेल
हमर माँक सुन्दर-सुन्दर सन आँखि
जानि नहि कोना,
दुर्घटनाग्रस्त म’ गेलनि
आब ओ चश्मासँ देखैत छथि !
।।छठम पत्र।।
भाइ विश्वेश !
आइ-काल्हि हम
अजीब-अजीब सपना देखैत छी
हमर आँखि तनल-तनल रहैत अछि
भोर-साँझ, सदिखन
बम-बारूद-पिस्तौल....टा उचरैत अछि
काल्हि भिनसर त’ गजब भ’ गेल !
सपनाक एकटा
सौदागर आएल, आ हमरा
सपनाक राजकुमार कहि गेल !