जब मैं लौटूंगा इस सड़क से,
देर रात गए,
अपने पक्के मकान की तरफ,
तब वे लोग,
इसी सड़क के किनारे गा रहे होंगे।
भगवत रावत की कविता की इन्हीं पंक्तियों के साथ उन्हें विनम्र श्रध्दांजलि।
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