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अपनी बात / आलोक धन्वा
Kavita Kosh से
कितने दिनों से रात आ रही है
जा रही है पृथ्वी पर
फिर भी इसे देखना
इसमें होना एक अनोखा काम लगता है
मतलब कि मैं
अपनी बात कर रहा हूँ।
(1996)