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अपने को सलाह / हो ची मिन्ह

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बिना शरद की ठिठुरन और सन्नाटे के
वसन्त की ऊष्मा और भव्यता
नहीं मिल सकती,
मुसीबतों ने मुझे पनिया कर
सख़्त कर दिया है
और मेरे मन को इस्पात बना दिया है ।

बिना आज़ादी के जीना दरअस्ल
घिनौनी स्थिति है ।