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अपने ख़्वाबों को सजाकर / चित्रा सिंह
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अपने ख़्वाबों को सजाकर
दुनिया की हाट में
जिस दिन सीख जाऊँगी
बोली लगवाना
उसी दिन से मिल जाए
शायद मुझे निजात
पर तब कहाँ बचेगा मेरा घर ?
मैं भी कहाँ बच पाऊँगी शायद...।