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अपने पिया जू से प्रीत लगाई / संत जूड़ीराम

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अपने पिया जू से प्रीत लगाई।
लागी लगन सुरत जब जागी तज विभिचार एक मत आई।
निस दिन प्रीत पलक नहिं बिछुरे भाव समेत हेर हरसाई।
ज्यौं चातक की टेक स्वात पै और नीर सब बृथा बहाई।
जूड़ीराम सती गति जाकी प्रीत पुनीत प्रेम धुनि छाई।