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अपने बेटे से-2 / देवयानी
Kavita Kosh से
यह जो तुम सुंदर युवक में तब्दील हुए जाते हो
यह जो तुम्हारी नाक के नीचे और गालो पर
नर्म राएं उगने लगे हैं
यह जो तुम बलिष्ठ दिखने लगे हो
इतना मुग्ध होती हूं मैं तम्हें देख कर
कि मन ही मन उतार लेती हूं तुम्हारी नजर
अक्सर ही तुम्हारे माथे पर दिठौना लगा देती हूं