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अपने संकलन की एक प्रति पर / मिक्लोश रादनोती

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मैं एक कवि हूँ और किसी को मेरी ज़रूरत नहीं है
जब मैं बिना शब्दों के गुनगुनाता हूँ हुँ हूँ हुँ हूँ
तब भी नहीं। मेरा गीत बदतमीज शैतानों ने
छीन लिया है।

भरोसा करो, यकीन करो मुझ पर कि मेरे पास इस बात की
अच्छी वज़ह है कि शक मुझे ज़िन्दा रखे हुए है।
मैं एक कवि हूँ जो इसी लायक है कि जला दिया जाए
क्योंकि वह सच्चाई का गवाह है।

मैं वह हूँ जो जानता है कि बर्फ़ सफ़ेद है
ख़ून लाल है और पोस्त का फूल भी लाल है
और उसका रोएँदार डंठल खेत की तरह हरा है।
 
मैं वह हूं जिसे आख़िरकार वे मार देंगे
क्योंकि मैंने खुद को कभी नहीं मारा।


रचनाकाल : 1 जून 1939

अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे