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अपनों ने, गैरों ने नहीं / राज हीरामन
Kavita Kosh से
तुम्हें क्रॉस पर लटकाने वाले
तुम्हारे ही अपने थे
गैर नहीं !!
राम !
तुम्हें बनवास भेजने वाले
तुम्हारे ही अपने थे
गैर नहीं !!
पाँडवों !
तुम्हें बेराज्य करने वाले
तुम्हारे ही अपने थे
गैर नहीं !!
पृथ्वीराज !
तुम्हें दुश्मनों के हाथ
तुम्हारे अपने जयचंद ही थे
गैर नहीं !!
बापू !
तुम पर गोली चलाने वाले
तुम्हारे ही देशवासी थे
गैर नहीं !!
महान आत्माओं !
अब तुम ही बोलो
कि मैं डरूँ तो किस से
अपनों से !
या गैरों से !