भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपराध / नेहा नरुका

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 

वे सब
अहिंसक थे
संयोग से मेरे आदर्श भी ।

जब-जब
साथ बैठते
तो हिंसा पर बहस करते ।
 
फिर
एक निष्कर्ष तक
पहुँचते ।

उनका निष्कर्ष
कोड़े की तरह
मेरी पीठ पर छप चुका है !
\