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अपेक्षा / जय गोस्वामी / पवन साव
Kavita Kosh से
जितनी बार घण्टी बजती है
सोचता हूँ तुम आई हो
दरवाज़ा खोलकर देखता हूँ
कोई और होता है
मन में ज्वार उठता है
मन में ज्वार मर जाता है ।
बांग्ला से अनुवाद : पवन साव