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अप्प दीपो भव / यशोधरा 4 / कुमार रवींद्र
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रात कटी - सुबह हुई
समाचार आया है
राहुल को दाय मिला -
वह भी कुलहीन हुआ
महिमा है बुद्ध की
पिंजड़े से उड़ा सुआ
यशोधरा के भीतर
सन्नाटा छाया है
पूरी छत घेर रहा
एक घना बादल है
आँगन लग रहा उसे
जला हुआ जंगल है
अंतहीन धुआँ घिरा
देह में समाया है
बिजुरी है कौंध रही
बाहर भी - भीतर भी
जलविहीन आँखें हैं
वैसा ही पोखर भी
अचरज है
नेहभरी बदली का साया है